आज भी जब हम उनीन्दी आंखों से सिरहाने रख मोबाइल टटोलते हैं तो अक्सर ही किसी कवि या शायर की कुछ पंक्तियां हमारे इंतजार कर रही होती हैं हो सकता है यह गुलजार हो, निदा फाजली, हर दिल अजीज फैज साहिब या फिर केदारनाथ सिंह। कोई अनजान अंजना कवि शायर भी हो। लेकिन हम जब इन पंक्तियों को बढ़ते हैं तो एक मुस्कान ही हमारे चेहरे पर दौड़ जाती। वो चन्द लफ्ज़ हमारे जहन में बड़ी सफाई से बहुत गहरे उतरते हैं। उन शब्दों में एक असाधारण सा प्रभाव होता है।
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